Bounce rate नाम जरूर सुना होगा. लेकिन, यह क्या है, वे नहीं जानते, कई ब्लॉग इसे अनदेखा कर देते हैं लेकिन हमारी Website के SEO के लिए बाउंस रेट महत्वपूर्ण है.
आपने वेबसाइट अट्रैक्टिव बनाई है और रीडर आपके ब्लॉग पर लंबे समय से रह रहे हैं या तो तुरंत जा रहे हैं? तो आप Google analytics खाता में लॉगिन करके चेक करे की मेरे ब्लॉग या वेबसाइट का बाउंस रेट कितना है.
यदि आप वर्डप्रेस यूज़ कर रहे है तो उसमें आप Analytics plugin पर नजर करे और पता कर सकते है. अगर आपका Bounce rate 68% से ज्यादा है तो ये SEO के लिए सही नहीं माना जाता, इसे कम करने की जरूर है.
क्या आपको पता है अपने Performance के आधार से Bounce rate calculate किया जाता है. मैं आपको इस लेख में Website bounce rate पर चर्चा करूँगा और आपके वेबसाइट पर बाउंस रेट ज्यादा है तो इसे कम कैसे करे? इस बारे में बताऊंगा, सबसे पहले यह जान लेते हैं कि बाउंस रेट क्या है.
बाउंस रेट क्या है? (What is Website Bounce Rate in Hindi)
Website bounce rate एक इंटरनेट मार्केटिंग शब्द है और यह एक मीट्रिक है जो किसी वेबसाइट पर आने वाले विज़िटर के प्रतिशत को इंगित करता है.
आपकी वेबसाइट ट्रैफ़िक में बाउंस दर उन Reader के बारे में बताते है जो आपकी वेबसाइट पर आते हैं और कितने टाइम तक रुकते है.
यदि आपकी वेबसाइट के Bounce rate high है तो यह इंगित करता है कि आपके वेबसाइट के रीडर उस Contents की तलाश नहीं कर रहे हैं जिसे वे वास्तव में पढ़ना चाहिए या आपके ब्लॉग की स्पीड कम होने की वजह से वो पूरा ब्लॉग लोड होने से पहले ब्लॉग छोड़ देते है और ये भी हो सकता है की Contents unique नहीं है.
आपकी Website या Blog Bounce rate ज्यादा है तो आप सोच रहे होंगे की कितना प्रतिशत बाउंस रेट हमारे लिए गुड है.
निम्नलिखित सूची आपको Bounce rate percentage बता सकती है, इस लिस्ट से अपनी वेबसाइट या ब्लॉग के बाउंस रेट चेक करके इस सूचि के साथ तुलना करें और पता करें कि बाउंस रेट को कितना कम करने की जरूरत है.
- 50% and Lower– Good
- 60-72% — Average
- 72-80% — Bad
- 80% and up – Very bad
Google analytics ने Help center पर कुछ बाउंस रेट के बारे में बताया है वहा पर जाने के लिए यहां क्लिक करे; About bounce rate
वेबसाइट बाउंस दर की गणना कैसे की जाती है?
वेबसाइट बाउंस दर की गणना किसी वेबसाइट पर एकल-पृष्ठ विज़िट की संख्या को उस वेबसाइट पर विज़िट की कुल संख्या से विभाजित करके की जाती है.
उदाहरण के लिए, यदि 1,000 उपयोगकर्ता आपकी वेबसाइट पर आते हैं (Total sessions) और उनमें से 400 अन्य अनुरोध (Single-page sessions) को ट्रिगर किए बिना बाहर निकल जाते हैं, तो आपकी वेबसाइट की बाउंस दर 40% है.
इस तरह से कॅल्क्युलेट किया जाता है, बट आपको ऐसा करने की जरूर नहीं क्योंकि गूगल एनालिटिक्स आपकी वेबसाइट के एनालिसिस करके बाउंस रेट की गणना करते है.
बाउंस दर यह समझने के लिए एक महत्वपूर्ण मीट्रिक है कि विज़िटर आपकी वेबसाइट की सामग्री से कितने जुड़े हुए हैं. उच्च बाउंस दर यह संकेत दे सकती है कि विज़िटर को वह नहीं मिल रहा है जिसकी उन्हें तलाश है.
इसके विपरीत, Low bounce rate इंगित करता है कि Visitors आपकी वेबसाइट की सामग्री को आकर्षक पा रहे हैं मतलब की आपके कंटेट्स पसंद करते है.
क्या वेबसाइट या ब्लॉग का बाउंस रेट 0% तक ले जा सकते है?
किसी वेबसाइट या ब्लॉग पर 0% बाउंस रेट की उम्मीद करना सही नहीं है, ऐसा कम पॉसिबल है. बाउंस दर उन आगंतुकों का प्रतिशत है जो केवल एक पृष्ठ देखने के बाद वेबसाइट छोड़ देते हैं.
हालांकि बाउंस दर को कम करने के लिए आपकी Website के डिज़ाइन और सामग्री को अनुकूलित करना संभव है, लेकिन यह संभावना नहीं है कि आप इसे पूरी तरह से समाप्त मतलब की 0% तक ले जा सकते हो, लेकिन एक सिंगल डिजिट (8, 9, 5) में ले जाना भी बहुति कठिन है.
अगर आपकी वेबसाइट या ब्लॉग का बाउंस रेट 50 से कम है तो यह बहुत अच्छा माना जाता है यहां तह की महेतन को भी बेकार नहीं मानी जाती है.
Website bounce rate बढ़ने पीछे क्या कारण है?
अगर आपका Bounce rate high है तो नीचे दी गई टिप्स बताती है कि आपकी Website का Bounce rate बढ़ने के पीछे क्या कारण है और यदि यह सूची आपके ब्लॉग से मेल खा रही है, तो इसे सुधारने का प्रयास करें.
1. बहुत सारे एड्स होने की वजह से,
लोग अपने प्रश्न का समाधान खोजने या अपनी क्वेरी प्राप्त करने के लिए Online आते हैं. लेकिन, उनका उपयोगी कंटेंट्स दिखाने से पहले Pop up, Intrusive ads और बिनजरूरी कंटेंट्स के साथ अपने ब्लॉग में रखते है और Ads की वजग से Contents शो होने में देर होती है तो Reader ब्लॉग तुरंत छोड़ देते है.
कई ब्लॉग एफिलिएट एड लगाते हैं और एडसेंस से कमाई भी करते हैं, मेरी आपसे गुजारिश है कि आप ज्यादा ऐड न डालें, ऐड आपके ब्लॉग की गति को धीमा कर देंगे, और अगर आपके ब्लॉग में कमाई के अलावा कोई विज्ञापन है तो उसे तुरंत हटा दें.
2. मोबाइल फ्रेंडली डिजाइन का अभाव,
मोबाइल खोज डेस्कटॉप खोज से कहीं अधिक है. आप एक अच्छी डिज़ाइन वाली थीम का उपयगो करे.
मोबाइल के अनुकूल ब्लॉग मोबाइल रीडर में टैप करने का एक अच्छा तरीका है, इसमें कोई संदेह नहीं है. लेकिन उपयोगकर्ता के अनुभव को बढ़ाने से, मोबाइल उपयोग करने से Website bounce rate में कमी होगी.
यदि आपके ब्लॉग की Themes mobile friendly नहीं है तो मोबाइल रीडर को लोड होने में देरी होगी. क्योकि, जब अपने ब्लॉग पर Tap करते है, तो वो Desktop के View में ओपन होगी.
इसलिए पूरा ब्लॉग लोड होने में समय लेगा. इस देरी के कारण रीडर तुरंत ब्लॉग छोड़ देंगे. इसलिए अपने ब्लॉग या वेबसाइट के लिए मोबाइल फ्रेंडली थीम का उपयोग करें.
3. इंटरनल लिंक न होने से,
इंटरनल लिंकिंग एक बड़े एसईओ Strategy है और साथ ही Bounce rate को कम करने का एक अच्छा तरीका है. अपने ब्लॉग पोस्ट की Links add करे, वो भी ब्लॉग पोस्ट के Related होना चाइये. इंटरनल लिंक से Reader ज्यादा समय रहेगा जिससे हमारी बाऊंस रेट कम होगा.
अगर आप इंटरनल लिंकिंग के बारे में गहराई से जानना चाहते है तो यहां पर विजिट करे, इंटरनल लिंकिंग क्या है
4. रीडेबिलिटी कंटेंट्स न होने से,
Page में सबसे बड़ा रोल कंटेंट्स का है उसके बिना पेज एक White पेज की तरह दीखते है. इसलिए आपको अपने Post contents को Unique, Bold text, Bullet point के साथ Organize करे ताकि रीडर Attractive हो सके.
जिससे रीडर को पूरा Post पढ़ने में रूचि लगेगा. यदि आपके पास कंटेंट्स रिलेटेड कोई Video है तो पोस्ट में Embed करे, वीडियो पसंद आएगा तो वीडियो देखने के लिए रुकेगा.
5. अच्छे ब्लॉग और वेबसाइट डिजाइन का अभाव,
ब्लॉग या वेबसाइट का डिज़ाइन हमारे रीडर्स को प्रभावित करता है. यदि ब्लॉग का डिज़ाइन रीडर फ्रेंडली नहीं है तो रीडर कुछ सेकंड के लिए भी ब्लॉग पर नहीं रुकेगा.
अगर आप वर्डप्रेस का इस्तेमाल कर रहे हैं तो ब्लॉगर की तुलना में वर्डप्रेस थीम को कलर, फॉन्ट और लेआउट में कस्टमाइज आसानी से कर सकते है अपने ब्लॉग या वेबसाइट को इस तरह से ऑप्टिमाइज़ करें कि Reader आकर्षित हो..
Read: ब्लॉग और वेबसाइट में क्या अंतर है
मुझे पूरी उम्मीद है कि इस लेख को पढ़ने के बाद आपको Bounce rate के बारे में अच्छी तरह समझ आ गया होगा कि वेबसाइट बाउंस रेट क्या है और इसके बढ़ने के पीछे क्या कारण है.
Very interesting articles, thanks dharmesh
nice article